उत्तर प्रदेश में भाजपा की तरह ही कांग्रेस ने राजस्थान में आधी आबादी पर फोकस शुरू कर दिया है। गांवों व शहरों में महिला स्वयं सहायता समूहों जरिये सरकार उन महिलाओं तक पहुंच रही है जो इन समूहों के माध्यम से रोजगार से जुड़ी हुई हैं। इन महिला समूहों को और अधिक कर्ज दिलाने और इनके द्वारा तैयार उत्पादों को बेहतर मार्केट उपलब्ध करवाने का वादा किया जा रहा है। इन महिला समूहों के लीडर भी महिलाओं को संबोधित कर रहे हैं।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा, महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज व तमाम प्रशासनिक अमला इन दिनों महिलाओं के समूह संबल संवाद कार्यक्रम में हजारों महिलाओं से रूबरू हो रहे हैं। पिछले तीन दिनों में उदयपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर में ऐसे ही कार्यक्रम में एक लाख से अधिक महिलाओं का संवाद हो चुका है। इन समूहों के जरिये हर जिले में ढाई से तीन लाख महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। यह सिलसिला पूरे राजस्थान में जारी रहेगा।
जिला स्तर पर सभी महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को एक ही जगह एकत्र कर बताया जा रहा है कि कांग्रेस की गहलोत सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए कितनी संवेदनशील है। यह कार्यक्रम सरकारी के प्रयासों को अमलीजामा पहनाने का माध्यम है। राजीविका गतिविधियों को प्रोत्साहित कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं कौशल विकास से जोड़कर रोजगार उपलब्ध करवाना मुख्य मकसद है। हर महिला पांच से 10 हजार रुपए प्रति माह कमाने लगे, तभी इस मिशन का सपना साकार होगा। सरकार महिला समूहों के लिए बैंक बनाने जा रही है जिनका संचालन महिलाओं के हाथों में ही रहेगा। इसके लिए सरकार ने 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें जैविक खेती को भी जोड़ा गया है।