उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने खास योजना तैयार की है। भाजपा विपक्ष की जातिवादी राजनीति को राष्ट्रवादी राजनीति से तोड़ेगी। इसके लिए भाजपा ने सभी विधानसभा सीटों के लिए समर्पित टीम बनाई है, जो जनता के बीच जाकर उन्हें बताएगी कि संविधान बदलने और साढ़े आठ हजार रुपये प्रतिमाह दिलाने जैसे विपक्ष के वादे झूठे और खोखले हैं और उन्हें भाजपा की राष्ट्रवादी और विकास की राजनीति से अवगत कराएगी।
सीएम योगी ने संभाला मिल्कीपुर का कार्यभार
उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद की फूलपुर, मझावन, कटेहरी, खैर और मीरापुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट और अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारियों का जिम्मा सीएम योगी ने अपने हाथों में ले लिया है। ताकि दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी को हराकर लोकसभा चुनाव की हार का जवाब दिया जा सके। लेकिन इन सीटों पर बीजेपी के लिए जीत की राह आसान नहीं होने वाली है।
दलित वोट बैंक पर नजर रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए खास योजना तैयार की है। इसके लिए भाजपा के सभी मोर्चा अध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ग्राउंड जीरो पर जाकर पार्टी का पक्ष रखें। उपचुनाव में दलित वोट बैंक काफी अहम रहने वाला है। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में दलित वोट बैंक का कुछ हिस्सा अखिल भारतीय गठबंधन की तरफ चला गया था और इसका नतीजा उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों में देखने को मिला, जिसमें समाजवादी पार्टी प्रदेश की नंबर वन पार्टी बनकर उभरी।
विपक्ष के वादों को झूठा करार देगी भाजपा
भाजपा संगठन ने अनुसूचित जनजाति मोर्चा समेत प्रदेश भाजपा के सभी मोर्चों के नेताओं से कहा है कि वे ग्राउंड जीरो पर जाकर विपक्ष के जाति कार्ड, संविधान में बदलाव, 8.50 रुपए प्रतिमाह देने के वादे का मुकाबला करें और विपक्ष के वादों को झूठा करार दें। साथ ही भाजपा की राष्ट्रवादी राजनीति, विकास की राजनीति और बांग्लादेश में दलित हिंदुओं की स्थिति से लोगों को अवगत कराएं।
सपा-कांग्रेस के लिए चुनौती
बहुजन समाज पार्टी इस उपचुनाव में सभी 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, बसपा ने फूलपुर विधानसभा सीट के लिए भी अपने उम्मीदवार का चयन कर लिया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता अच्छी तरह जानते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान मुद्दे अलग थे, हालात अलग थे। उपचुनाव का माहौल अलग होगा। इस बार बसपा भी अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाने की पूरी कोशिश कर रही है। ऐसे में अखिलेश यादव विधानसभा उपचुनाव में नई पीढ़ी के नेताओं को मौका दे सकते हैं।