यह चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण है दो राज्यों में हुए मतदान के परिणाम जो नज़र आ रहे हैं। वे यह दर्शाते है कि दोनों सरकारों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का प्रभाव नहीं रहा। महाराष्ट्र में भी सरकार रिपीट हो रही है और झारखण्ड में भी सरकार रिपीट हो रही है। ज्ञातव्य हो कि महाराष्ट्र में पिछले 10 वर्षों से बीजेपी और उनके सहयोगी दलों की सरकार रही है। महाराष्ट्र में उम्मीद यह की जा रही थी कि वर्तमान सरकार रिपीट नहीं होगी लेकिन सारी कल्पनाएं ध्वस्त होती नज़र आ रही हैं। भाजपा नीत गठबंधन अपार जीत की और बढ़ रही है। लोकसभा चुनाव में इसी महाराष्ट्र ने मोदी जी को मात दे दी थी लेकिन यह जबरजस्त कमबैक है। लोगों का जो मानना था कि मोदी मैजिक समाप्त हो गया है लेकिन वह मैजिक अब भी बरक़रार है। महाराष्ट्र के चुनाव को भी भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दों से जोड़कर रखा। हिंदुत्व, हिन्दू एकता, कटेंगे और बटेंगे जैसे नारों को लेकर भाजपा दोनों प्रांतों के चुनावों में उतरी थी ऐसा प्रतीत होता ही कि इन दोनों नारों का जनमन पर व्यापक असर हुआ।
झारखण्ड में अभी भी भाजपा टक्कर दे रही है। यहां भी कटेंगे और बटेंगे जैसे नारों का असर होता, पर हेमंत सोरेन के प्रति उपजी सहानभूति ने इसके असर को बेअसर कर दिया। शाम तक सारे चुनाव परिणाम सामने आ जायेंगे। अब किसी बड़े उलट फेर की सम्भावना कम ही रह गयी है। इन दोनों प्रांतों में योगी जी का डंका जम कर बजा है। उत्तर प्रदेश में भी उपचुनाव के जो परिणाम आते दिख रहे हैं इससे योगी जी का राष्ट्रीय व्यक्तिव्य और ही उभर कर बाहर आएगा। यह माना जा सकता है इन दोनों प्रांतों के चुनाव में मोदी मंत्र का प्रभाव कम नज़र आया योगी मंत्र का प्रभाव ज्यादा नज़र आया। यह योगी के कृतित्व व्यक्तिव्य और नेतृत्व को ताकत देने वाला है। अगर सूक्ष्म राजनीति पर दृष्टि डाली जाये तो यह चुनाव योगी वर्सेस मोदी का भी चुनाव माना जा सकता है। इस चुनाव परिणाम के आने के बाद आक्रामक हिंदुत्व की दिशा और दशा क्या होगी यह देखना बाकी है।