सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को शीर्ष अदालत में पेश होने का एक ‘आखिरी मौका’ दिया है। अदालत ने कहा कि वह कानून के चंगुल से भागते नजर आ रहे हैं। कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई 24 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है और उन्हें वकील के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से दो सप्ताह में अदालत के सामने पेश होने का अंतिम मौका दिया है। कोर्ट ने ये भी आदेश जारी किया है कि अगर वह ऐसा करने में विफल होते है तो अदालत इस मामले में तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएगी।
एमिकस क्यूरी के अनुसार, ‘माल्या को पेश होने का पर्याप्त अवसर दिया गया है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का कोई उल्लंघन नहीं है। माल्या को तमाम नोटिस दिए गए, उन्होंने पेश नहीं होने का विकल्प चुना है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सजा देने के लिए आगे बढ़ रहा है।’ कहा गया है कि माल्या सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही से दूर भागे हैं और हमें उनकी अनुपस्थिति में सजा सुनानी पड़ रही है।
पिछले साल, न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा था कि माल्या उचित समझे जाने पर अपनी दलीलें पेश करने के लिए स्वतंत्र हैं और यदि किसी कारण से वह अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनकी ओर से वकील आगे आ सकते हैं।
पीठ ने कहा था, ‘हम जनवरी के दूसरे सप्ताह में इस मामले को निपटाने के लिए सूचीबद्ध करेंगे। हमने काफी लंबा इंतजार किया है, हम अब और इंतजार नहीं कर सकते हैं। इस मामले को कभी न कभी खत्म होना ही चाहिए।’ इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 2017 के अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें अदालत के आदेशों के उल्लंघन में अपने बच्चों को 40 मिलियन डॉलर स्थानांतरित करने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया गया था।
18 जनवरी, 2021 को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार माल्या को यूनाइटेड किंगडम से प्रत्यर्पित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है, लेकिन इस मामले में कुछ कानूनी मुद्दों के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है। बता दें कि माल्या, अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण चूक मामले में मार्च 2016 से यूके में है। वह तीन साल पहले स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा 18 अप्रैल, 2017 को निष्पादित प्रत्यर्पण वारंट पर जमानत पर है।