महाकुंभ का आयोजन भारतीय धार्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे हर 12 वर्षों में चार प्रमुख तीर्थस्थलों (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक) में आयोजित किया जाता है। यह आयोजन विशेष रूप से हिंदू धर्म के लिए पवित्र और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
पौष पूर्णिमा और महाकुंभ:
- पौष पूर्णिमा का महत्व:
- पौष पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा तिथि को आती है।
- इसे धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है और इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदी में स्नान करना शुभ होता है।
- यह दिन विशेष रूप से दान, तप, पूजा और अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त होता है।
- महाकुंभ का आरंभ:
- महाकुंभ के लिए पौष पूर्णिमा से स्नान पर्व शुरू होता है।
- इस दिन से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेले में शामिल होते हैं और पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं।
- यह स्नान पर्व माघ मास की मकर संक्रांति के साथ मिलकर अगले महत्वपूर्ण स्नान पर्व की शुरुआत करता है।
- महाकुंभ 2025 का आयोजन:
- प्रयागराज (इलाहाबाद) में महाकुंभ 2025 का आयोजन किया जा रहा है।
- पौष पूर्णिमा 25 जनवरी 2025 को है, और इस दिन से कुंभ मेले के धार्मिक आयोजन विधिवत रूप से शुरू होंगे।
- स्नान पर्व:
प्रमुख स्नान पर्व इस प्रकार हैं:- मकर संक्रांति
- पौष पूर्णिमा
- माघ अमावस्या (मुख्य शाही स्नान)
- वसंत पंचमी
- माघी पूर्णिमा
- महाशिवरात्रि
- महत्व:
- कुंभ मेले का आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
- यह आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं को एक साथ लाकर धार्मिक और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।