किसान आंदोलन के बाद से ही माना जा रहा है कि पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनावों में भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुके पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि कानूनों के चलते पार्टी को नुकसान होगा. किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस नुकसान को बढ़ाने की पूरी कोशिश में जुटे हैं. यूपी चुनाव में राकेश टिकैत ने पंचायत आजतक के कार्यक्रम में किसान आंदोलन को लेकर कहा कि ‘एक साल के आंदोलन से मैदान बनाया है, जिसे लड़ना है लड़ लो.’ मुजफ्फरनगर में हुई संयुक्त किसान रैली में मंच से पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर जो बातें कही गई थीं. उसके आधार पर ये सियासी मैदान भाजपा के खिलाफ ही तैयार किया गया है. क्योंकि, दिल्ली में आरएलडी नेता जयंत चौधरी के साथ हवन करते नजर आने को लेकर पूछे गए सवाल पर राकेश टिकैत ‘घी गरम करने’ की बात कहकर अपना राजनीतिक झुकाव ढांकने की कोशिश जरूर करते हैं. लेकिन, ये भी बताते हैं कि ‘गरम घी किसी न किसी काम आएगा ही.’
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की खाप पंचायतों का प्रभाव किसी से छिपा नहीं है. ऐसा माना जाता है कि खाप पंचायतों की ओर से हर चुनाव में ‘इशारा’ किया जाता है. ये इशारा चुनाव में पार्टी और प्रत्याशी का समर्थन करने के लिए किया जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं की संख्या करीब 17 फीसदी है. और, इसी वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक मशहूर कहावत भी है कि ‘जिसके जाट, उसी के ठाठ.’ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की एक बड़ी बालियान खाप से आने वाले राकेश टिकैत ने पंचायत आजतक के कार्यक्रम में कहा कि ‘जो हमको बात कहनी थी, वो हमने गांवों में कह दी है. बस उसका तमाशा देखना है.’ राकेश टिकैत की इस बात को आसान शब्दों में कहा जाए, तो जयंत चौधरी के साथ हवन कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को ‘इशारा’ कर दिया गया है. वैसे, आरएलडी नेता जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने काफी समय पहले ही गठबंधन की घोषणा कर दी थी. तो, हो सकता है कि आने वाले समय में राकेश टिकैत सपा और आरएलडी गठबंधन के लिए किसान नेता के तौर पर वोट मांगते दिख जाए.