उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता Swami Prasad Maurya ने मंगलवार को योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने मंत्री पद छोड़ने के ऐलान के साथ ही बीजेपी सरकार की सार्वजनिक तौर पर आलोचना भी की। कुछ ही देर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर पर यह भी ऐलान कर दिया कि स्वामी का ‘प्रसाद’ अब उनकी पार्टी को मिलेगा। हालांकि, बीजेपी तुरंत डैमेज कंट्रोल मोड में आई तो पहले खुद स्वामी और फिर उनकी बेटी ने साफ किया कि मौर्य अभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं। इस बीच सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि स्वामी ने आखिर यह कदम क्यों उठाया? स्वामी ने भले ही यह कहा कि वह सरकार के कामकाज से असंतुष्ट होकर इस्तीफा दे रहे हैं, लेकिन झगड़े की असली वजह यूपी की एक विधानसभा सीट है।
यूपी की सिसायत में लंबी पारी खेल चुके स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बीजेपी की बदायूं से सांसद हैं। पांच बार के विधायक मौर्य लंबे समय से अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य का राजनीतिक करियर बनाने की कोशिश में जुटे हैं। इस प्रयास के तहत वह पहले बसपा और फिर भाजपा के टिकट पर बेटे को रायबरेली की ऊंचाहार सीट से लड़वा चुके हैं। लेकिन दोनों ही बार उत्कृष्ट चुनाव हार गए। बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि एक बार फिर स्वामी इसी सीट से बेटे के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी उनपर दांव लगाने को तैयार नहीं थी।