50 साल से प्रचंड रूप से जल रही अमर जवान ज्योति की अखंड लौ शुक्रवार को दिल्ली की सर्द हवा में इंडिया गेट पर आखिरी बार जलाई गई। पर्यटकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय स्थान जिसे दिल्ली के केंद्र में स्थित माना जाता है, अब शहीदों द्वारा किए गए बलिदानों को याद दिलाने के लिए जलती हुई लपटें नहीं दिखेगीं। हालांकि, जो लोग लौ देखना चाहते हैं, वे अब पास के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जा सकते हैं क्योंकि अमर जवान ज्योति की अखंड लौ के अंश को एक समारोह में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति के साथ मिला दिया गया।
21 जनवरी को दोपहर बाद 3.54 बजे चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण ने ‘अमर जवान ज्योति’ को ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ में जल रही ज्योति में विलीन कर दिया। पहले यह काम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को करना था। लेकिन बीते दिनों एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) का निधन होने के बाद से यह पद अब तक खाली पड़ा हैं। इसलिए उनके डिप्टी सीआईडीएस (CIDS) एयर मार्शल बीआर कृष्ण ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।
अमर जवान ज्योति का निर्माण 1971 के भारत-पाक युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक के रूप में किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को इसका उद्घाटन अपने कर कमलो से किया था। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।