AAP vs Delhi LG

AAP vs Delhi LG: किसने कितने मंदिर गिराने का दिया आदेश? AAP और LG में टकराव

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AAP vs Delhi LG: दिल्ली में मंदिर को लेकर महाभारत शुरू हो गई है। दिल्ली चुनाव से पहले एक बार फिर आम आदमी पार्टी सरकार और एलजी वीके सक्सेना के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय ने आम आदमी पार्टी सरकार पर पिछले साल शहर में नौ मंदिरों को गिराने की मंजूरी देने का आरोप लगाया है। यह आरोप दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा उपराज्यपाल को लिखे गए पत्र के एक दिन बाद लगाया गया है। मुख्यमंत्री आतिशी ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय राजधानी में कई मंदिरों को गिराने का आदेश देने का आरोप लगाया था।

विवाद तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी को एक पत्र लिखा। उस पत्र में दावा किया गया था कि एलजी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली एक ‘धार्मिक समिति’ ने 22 नवंबर को एक बैठक के दौरान छह धार्मिक संरचनाओं को गिराने का आदेश दिया था। इनमें शहर के अलग-अलग इलाकों में स्थित हिंदू मंदिर और एक बौद्ध पूजा स्थल शामिल हैं।

आप के आरोपों पर एलजी का पलटवार

हालांकि, आम आदमी पार्टी सरकार के आरोपों पर एलजी ने पलटवार किया है। राज निवास ने जवाब में बयान जारी किया है। एलजी सचिवालय ने आतिशी के आरोपों पर कहा कि अरविंद केजरीवाल की आप सरकार ने खुद 2016 से 2023 तक 24 हिंदू धार्मिक ढांचों को गिराने की इजाजत दी थी। एलजी सचिवालय ने इस मामले से जुड़े दस्तावेजों का हवाला दिया।

एलजी ने क्या लगाए आरोप?

बयान में दस्तावेजी सबूतों का हवाला देते हुए कहा गया कि सात मंदिर करावल नगर में स्थित हैं, जबकि बाकी दो न्यू उस्मानपुर में हैं। उपराज्यपाल कार्यालय ने यह भी आरोप लगाया कि 2016 में तत्कालीन गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में आठ मंदिरों को गिराने की मंजूरी दी थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने मांग की कि आम आदमी पार्टी अपने बयान वापस ले और सक्सेना के खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए माफी मांगे।

आप की प्रतिक्रिया

इस बीच, आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि एलजी सक्सेना धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए अधिकृत धार्मिक समिति को “सीधे नियंत्रित करते हैं” और समिति के अधिकारियों को केंद्र द्वारा नियुक्त किया गया था। उपराज्यपाल के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, आम आदमी पार्टी ने जानना चाहा कि क्या प्रधान सचिव (गृह) को केंद्र द्वारा नियुक्त किया गया था और क्या पैनल ने पाँच मंदिरों और एक बौद्ध संरचना को ध्वस्त करने की मंज़ूरी दी थी?

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