यदि हम एक लोकतंत्र में रहते हैं तो नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बनाए जा सकते हैं। सभी नागरिकों को संवैधानिक अधिकार और कर्तव्यों की एक समान सूची दी जाती है। इसलिए, नेताओं को भी उन समान नियमों और कानूनों का पालन करना होता है जो अन्य नागरिकों के लिए होते हैं।
हालांकि, नेताओं को अधिक जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है और वे संवैधानिक अधिकारों का उपयोग अधिक करते हैं। उन्हें लोकतंत्र के मूल्यों का पालन करना चाहिए और लोकतंत्र के संरचना को समझना चाहिए ताकि वे अपने लोगों के हित में निर्णय ले सकें।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली 14 दलों की याचिका पर बुधवार को विचार करने से इनकार कर दिया हैं। अदालत ने कहा कि किसी खास मामले के तथ्यों के बिना आम दिशा-निर्देश तय करना संभव नहीं है। बाद में शीर्ष न्यायालय ने अभिषेक मनु सिंघवी को विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग पर 14 राजनीतिक दलों की याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने 24 मार्च को मामले की तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मामलों की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया था। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की। न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला भी पीठ का हिस्सा थे।