Ratan Tata

बात 1993 की…लालू यादव की परेशान में ‘संकटमोचक’ बने थे रतन टाटा

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प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का देहांत हो गया है। अब उनसे जुड़े कई किस्से सामने आ रहे हैं। इस क्रम में ये बात बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव यादव की टाटा समूह (तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा) से नजदीकियों को लेकर है। बात 1993 की है…तब बिहार और झारखंड मिलाकर संयुक्त राज्य था। उस दौर में बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे। उसी अवधि में जब लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती ने मेडिकल इंट्रेंस की परीक्षा दी थी, लेकिन वह परीक्षा पास नहीं कर पाईं थी। कंपिटिशन में फेल होने के बाद उनका एडमिशन तब संयुक्त बिहार के जमशेदपुर महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में टाटा कंपनी के कोटा से हुआ था। कहा गया था कि इसमें कहीं ना कहीं रतन टाटा की भूमिका रही थी। लालू यादव की एक और बेटी रोहिणी आचार्य के एमजीएम कॉलेज में एडमिशन पर विवाद हुआ था। यह मामला उस दौर में तो जोर-शोर से उठा ही था और इसको लेकर विवाद भी हुए थे, लेकिन कोरोना काल में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम स्वर्गीय सुशील कुमार मोदी ने जोर-शोर से उठाया था।

बिहार के पत्रकार भारतीय भारतेंदु कुमार बताते हैं कि कोरोना संकट के समय सुशील मोदी ने मीसा भारती और रोहिणी आचार्य के डॉक्टरी डिग्री को लेकर काफी खुलासे किए थे। इन लोगों को आखिर एमबीबीएस की डिग्री मिली कैसे थी? भारतेंदु कुमार ने कहा कि अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ में एक खबर छपी थी जिसमें 32 साल पुराना किस्सा था। टेलीग्राफ की इस खबर में यह बताया गया था कि वर्ष 1993 में मीसा भारती मेडिकल एंट्रेंस की परीक्षा में बैठी थीं, लेकिन वह पास नहीं कर पाई थीं। कंपिटिशन में फेल होने के चलते सरकारी मेडिकल कॉलेज में उनका नाम नहीं लिखा पाया। उस समय बिहार झारखंड एक ही था। तब संयुक्त बिहार में जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में टाटा कंपनी का तब कोटा हुआ करता था। लालू प्रसाद यादव उसे समय बिहार के मुख्यमंत्री थे। पूरे देश में उनके नाम का डंका बज रहा था। टाटा कंपनी भी लालू जी की अदब मानती थी। टाटा मैनेजमेंट के कोटा पर मीसा भारती का महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो गया था।

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