उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में सपा चलेगीं आरक्षण का दांव

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समाजवादी पार्टी निकाय चुनाव में आरक्षण का दांव चलने वाली है। सपा अनारक्षित सीटों पर भी ओबीसी और एससी के दावेदार उतारेगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी की रणनीति है कि जिले को यूनिट बनाकर नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष एवं सभासदों के बीच सामाजिक समीकरण को साधना होगा।

लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी आरक्षण का दांव चलने जा रहीं है। सपा, भाजपा पर आरक्षण की अनदेखी का आरोप लगाते हुए टिकट बंटवारे में सियासी समीकरण साधेगी। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। 

पार्टी की रणनीति है कि जिन इलाके में पिछणे, अति पिछड़े अथवा अनुसूचित जाति की संख्या अधिक है, वहां इस वर्ग से उम्मीदवार उतारे जाएं। ऐसे में कई अनारक्षित सीटों पर इस वर्ग के उम्मीदवार उतार कर आरक्षण का हितैषी होने का संदेश दिया जा सकता है।

समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव में आरक्षण की अनदेखी का आरोप लगाया है। पार्टी की टीम ने शासन से जारी सीटों पर आरक्षण का अध्ययन किया। इसमें बताया कि बरेली में जहां अनुसूचित जाति को छह फीसदी आरक्षण दिया गया है वहीं जौनपुर, मैनपुरी, रायबरेली में सिर्फ 11 फीसदी।

आपत्ति के बाद भी आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव नहीं किया गया है। ऐसे में पार्टी की रणनीति है कि इस मुद्दे को निरंतर गरमाया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि भाजपा सरकार जानबूझकर संविधान में किए गए प्रावधानों को खत्म कर रही है। इसके लिए तमाम अनारक्षित सीटों पर पार्टी आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। इसके जरिए वह लोगों को समझाएगी कि सरकार ने भले आरक्षण की अनदेखी की है, लेकिन सपा इसका पालन करेगी। यही वजह है कि जिलेवार नगर पालिका, नगर पंचायतों में मतदाताओं की संख्या के बारे में जानकारी मांगी है।

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