ब्रिटिश सरकार की ओर से बनाए इंडिया गेट पर केवल प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के नाम ही दर्ज किये गए थे। वहीं, नेशनल वॉर मेमोरियल में आजादी के बाद से अब तक हुए युद्धों और सैन्य अभियानों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। वैसे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार के हर फैसले के विरोध में ही नजर आते हैं। तो, इस फैसले का विरोध कर राहुल गांधी केवल विरोधों की लिस्ट में एक विरोध और जोड़ रहे हैं। वहीं, अमर जवान ज्योति को बुझाए जाने की अफवाहों का सरकारी अधिकारियों ने खंडन भी किया है। सूत्रों की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि ‘नेशनल वॉर मेमोरियल पर अब तक शहीद हुए सभी भारतीय सैनिकों के नाम हैं। जबकि, अमर जवान ज्योति के पास बने इंडिया गेट पर सिर्फ प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के नाम दर्ज हैं। अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में विलय इन शहीदों को सच्ची श्रद्धाजंलि देना है।’
केंद्र सरकार की ओर से विपक्षी दलों की आलोचना के जवाब में कहा गया है कि ‘ये विडंबना है कि जिन लोगों ने सात दशकों तक नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं बनाया, वो आज हमारे शहीदों को उचित श्रद्धांजलि देने पर हंगामा कर रहे हैं।’ यहां बताना जरूरी है कि 1960 में पहली बार सशस्त्र सेनाओं ने नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव रखा था। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति से बनाने से करीब 12 साल पहले यह प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन, सशस्त्र बलों का नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का यह सपना तब पूरा हुआ जब केंद्र में मोदी सरकार आई। वैसे, देश के शहीदों के नाम से जल रही अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल में प्रज्जवलित किए जाने में से अगर राजनीति को किनारे कर दिया जाए, तो शायद ही किसी को कोई समस्या नजर आएगी। वैसे अमर जवान ज्योति को पूरे सैन्य सम्मान के साथ मशाल के जरिये वॉर मेमोरियल ले जाया गया।