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भाजपा ने कैसे बढ़ाई अखिलेश-प्रियंका की मुश्किलें ?

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UP चुनाव में केवल Yogi Adityanth के ही चुनाव लड़ने की राजनीतिक चर्चा नहीं हो रही थी। बल्कि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बारे में भी चुनाव लड़ने को लेकर सवाल उठ रहे थे। और, ऐसे हर सवाल पर अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी की ओर से एक जैसा ही जवाब मिलता था कि अगर पार्टी चाहेगी, तो वह चुनाव लड़ेंगे। अब अगर प्रियंका गांधी की बात की जाए, तो वह कांग्रेस महासचिव तो हैं ही। इसके साथ ही वह कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार से जुड़ी भी हैं। इस हिसाब से अगर प्रियंका गांधी यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना लें, तो कांग्रेस में शायद ही कोई नेता होगा, जो उन्हें ऐसा करने से रोक सकता हो। वैसे भी कांग्रेस को संजीवनी देने के लिए प्रियंका गांधी का सीएम फेस बनना जरूरी है। और, इसके बिना यूपी चुनाव में कांग्रेस के रिवाइवल की उम्मीद करना बेमानी होगा। क्योंकि, राहुल गांधी ने अमेठी से हारने के बाद पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया था। और, उन्हें प्रियंका गांधी ने ही दोबारा उत्तर प्रदेश में लॉन्च किया है।

वहीं, अखिलेश यादव की बात की जाए, तो 2012 के विधानसभा चुनाव में जब वह मुख्यमंत्री बने थे। तो, इसे पिता मुलायम सिंह यादव की वजह से मिला मौका माना गया था। क्योंकि, तत्कालीन सपा सरकार को लेकर कहा जाता था कि यह साढ़े तीन मुख्यमंत्रियों (अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव और आजम खान) की सरकार है। वैसे, उस समय अखिलेश यादव केवल समाजवादी पार्टी के सांसद हुआ करते थे। लेकिन, अब वह खुद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। गठबंधन से लेकर पार्टी में विपक्षी नेताओं को शामिल कराने तक के तमाम बड़े फैसला वह खुद लेते हैं। तो, उनके यूपी चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी में कौन करेगा? ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है। आसान शब्दों में कहा जाए, तो भाजपा के योगी आदित्यनाथ को विधानसभा चुनाव लड़ाने के फैसले से कहीं न कहीं अखिलेश और प्रियंका पर भी दबाव होगा कि वे यूपी चुनाव लड़ने को लेकर अपना रुख साफ करें। 

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